
Eid मुसलमानों का एक पवित्र त्योहार है जो आपसी भाईचारे और आत्म-संयम का प्रतीक है। जानिए ईद क्यों मनाई जाती है, इसके पीछे की ऐतिहासिक और धार्मिक सच्चाई क्या है।
ईद:Story of Eid
Story of Eid यानी खुशी और आस्था का त्योहार। यह इस्लाम धर्म के सबसे बड़े और खास त्योहारों में से एक है, जिसे पूरी दुनिया के मुसलमान बड़ी श्रद्धा और जोश के साथ मनाते हैं। ईद न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह इंसानियत, भाईचारा और आपसी मेलजोल का प्रतीक भी है।
Why do Muslims celebrate Eid

इस्लाम धर्म में मुख्यतः दो प्रकार की ईद मनाई जाती है:
- ईद-उल-फित्र: रमज़ान के पवित्र महीने के अंत में मनाई जाती है। इसे 'मीठी ईद' भी कहा जाता है।
- ईद-उल-अजहा (बकरीद): कुरबानी की ईद के नाम से मशहूर, यह हजरत इब्राहिम की अल्लाह के प्रति भक्ति और बलिदान की याद में मनाई जाती है।
ईद-उल-फित्र क्यों मनाई जाती है?
रमज़ान के महीने में मुसलमान दिन भर रोज़ा रखते हैं, यानी सुबह से लेकर शाम तक बिना कुछ खाए-पिए रहते हैं। यह आत्म-संयम, अनुशासन और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रतीक होता है। जब रमज़ान समाप्त होता है, तब ईद-उल-फित्र मनाई जाती है। यह अल्लाह का शुक्रिया अदा करने का दिन होता है कि उन्होंने शक्ति दी पूरे महीने इबादत करने की।
ईद-उल-अजहा की ऐतिहासिक कहानी
यह ईद एक प्रेरणादायक कहानी पर आधारित है। हज़रत इब्राहीम अल्लाह की आज्ञा पर अपने सबसे प्यारे बेटे की कुरबानी देने को तैयार हो गए थे। यह देख कर अल्लाह ने एक दुम्बे को भेजा जिसे कुरबानी में दिया गया। इस बलिदान की याद में हर साल ईद-उल-अजहा मनाई जाती है, जिसमें मुसलमान जानवर की कुरबानी देते हैं और उसका मांस जरूरतमंदों में बांटते हैं।
ईद के दिन की प्रमुख परंपराएं
ईद की परंपराएँ
- सुबह की नमाज़ (ईद की नमाज़)
- गरीबों को फित्रा देना (ईद-उल-फित्र में)
- एक-दूसरे से गले मिलना और 'ईद मुबारक' कहना
- स्वादिष्ट व्यंजन बनाना जैसे सेवईं, बिरयानी आदि
- जरूरतमंदों की मदद करना
ईद का सामाजिक महत्व
- आज की डिजिटल दुनिया में भी Eid की रौनक कम नहीं हुई है। सोशल मीडिया पर बधाइयों का आदान-प्रदान, ऑनलाइन ईद कार्ड्स और वर्चुअल ग्रीटिंग्स ने इस पर्व को नई ऊंचाई दी है। साथ ही लोग COVID-19 जैसी आपदाओं में भी ईद के संदेश को ज़िंदा रखते हैं — यानी ‘भाईचारा और मदद’।
- सारांश:
ईद का त्योहार न केवल मुसलमानों के लिए बल्कि पूरे मानव समाज के लिए एक प्रेरणा है। यह पर्व हमें सिखाता है आत्म-संयम, बलिदान और सेवा की भावना। चाहे वह रमज़ान के बाद की ईद हो या कुरबानी वाली बकरीद, Eid का उद्देश्य इंसानियत को आगे बढ़ाना है। आइए इस ईद पर हम भी एक-दूसरे को समझें, गले लगें और समाज में प्रेम का संदेश फैलाएं।